Thursday, April 1, 2010

मेरे नाम लिखना

मोहब्बत का जब कोई पैगाम लिखना ,
बस इक इल्तजा है मेरे नाम लिखना |

खुदा इन लकीरों में लिखे न लिखे ,
हथेली पे पर तुम मेरा नाम लिखना |

ये तुमने लिखा है तुम्हे भूल जाऊं ,
सज़ा कैसी दी है यह इलज़ाम लिखना |

सुना है तुम्हारी वफ़ा बिक रही है ,
ये सच है अगर तो मुझे दाम लिखना |

कभी याद आये जो गुलशन हमारी ,
मुलाक़ात की तुम यही शाम लिखना |

2 comments:

  1. बहुत अच्छी शुरुआत । बधाई ! पर हिन्दी में लिखेंगे तो और अच्छा लगेगा।

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  2. khubsurat gam bhi likhna
    h w r u
    www.ashoksamrat.blogspot.com

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